गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja), जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है, हर साल दीपावली के अगले दिन, यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन का महत्व भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत को उठाकर इन्द्रदेव के प्रकोप से गांववासियों की रक्षा करने के प्रसिद्ध किवदंती से जुड़ा हुआ है।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
गोवर्धन पूजा का महत्व भगवान श्री कृष्ण के उस अद्भुत कार्य को याद करने के लिए है, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों को इन्द्रदेव की मूसलधार बारिश से बचाया था।
यह पर्व कृष्ण के दिव्य रूप का सम्मान करता है और भगवान कृष्ण की शरण में आने वाले हर भक्त को सुरक्षा और आशीर्वाद देने की बात करता है। इसके अलावा, गोवर्धन पूजा पशु-पक्षियों, विशेषकर गायों और बकरियों की पूजा का भी दिन है, क्योंकि वे कृषि और जीवनयापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस दिन अन्नकूट का आयोजन भी होता है, जिसमें तरह-तरह के पकवान भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त:
गोवर्धन पूजा का मुहूर्त हर साल बदलता है, लेकिन यह हमेशा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा की विधि:
गोवर्धन पूजा की विधि सरल और प्रभावशाली है, जिसमें मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
1. सर्वप्रथम घर को स्वच्छ करें:
पूजा से पहले घर और विशेष रूप से पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
2. गोवर्धन पर्वत का प्रतीक:
- एक छोटा सा गोवर्धन पर्वत (कभी-कभी गोवर्धन पर्वत के आकार का एक ढेर, जिसे गोबर या मिट्टी से बनाया जाता है) तैयार करें।
- इसके ऊपर भगवान श्री कृष्ण की तस्वीर या मूर्ति रखें।
3. अन्य पूजा सामग्री:
- पंखा (इन्द्रदेव को शांत करने के लिए)
- फल (किसी भी प्रकार के ताजे फल)
- मिठाईयाँ (खासकर पेटिस, खीर, लड्डू, चावल आदि)
- दीपक और धूपबत्ती
- कुमकुम और चंदन
4. पारंपरिक पूजा विधि:
- सबसे पहले गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।
- गोवर्धन पर्वत के सामने दीपक लगाएं और भगवान कृष्ण के मंत्रों का उच्चारण करें।
- मंत्र: “ॐ गोवर्धनाय नमः”
- फिर अन्नकूट (अन्न की ढेर सारी वस्तुएं) भगवान को अर्पित करें।
- गोवर्धन पर्वत के पास गायों, बकरियों, सांडों, और अन्य ग्रामीण जानवरों की पूजा करें।
- पूजन में ताजे फल, पकवान और मिठाइयां अर्पित करें। पूजा के बाद इन अर्पित सामग्रियों का प्रसाद वितरण करें।
5. समाप्ति और आशीर्वाद:
पूजा के बाद, घर के सभी सदस्य भगवान श्री कृष्ण से आशीर्वाद लें।
6. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा:
यदि संभव हो तो गोवर्धन या कृष्ण जन्मभूमि के पास गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
गोवर्धन पूजा के दौरान विशेष बातें:
- गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण का ध्यान करना और कृष्ण भक्ति को बढ़ाना चाहिए।
- यह दिन कृष्ण के जन्म स्थान जैसे मथुरा, वृंदावन और गोकुल में खास तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है।
- गायों की पूजा करना इस दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि गाएं कृषि और दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
गोवर्धन पूजा से जुड़े लाभ:
- आध्यात्मिक लाभ: इस पूजा से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा मिलती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सुरक्षा और सफलता प्रदान करती है।
- पारिवारिक सुख: यह पूजा पारिवारिक समृद्धि और खुशहाली की ओर मार्गदर्शन करती है।
- वृद्धि और समृद्धि: इस दिन किया गया अन्नकूट (विभिन्न प्रकार के पकवानों की अर्पित पूजा) सम्पत्ति और समृद्धि में वृद्धि लाता है।
- सभी संकटों से मुक्ति: गोवर्धन पूजा से भक्तों के जीवन के सभी प्रकार के संकट दूर हो सकते हैं और भगवान की कृपा से उनका जीवन सुखमय हो जाता है।
निष्कर्ष: गोवर्धन पूजा न केवल भगवान कृष्ण की उपासना का अवसर है, बल्कि यह प्रकृति, कृषि, और गौसेवा की भी पूजा है। यह त्योहार भक्तों को भगवान कृष्ण के दिव्य रूप की याद दिलाता है और जीवन में समृद्धि, सुख और आशीर्वाद की प्राप्ति का प्रतीक बनता है।