Significance of Guru Purnima
Guru Purnima is a significant and sacred Hindu festival celebrated on the full moon day (Purnima) in the month of Ashadha (June-July) as per the Hindu calendar. This day holds immense importance in the spiritual and cultural traditions of India. The festival is dedicated to expressing gratitude and reverence towards one’s spiritual teachers, mentors, and gurus. Here are some key significances of Guru Purnima:
- Honoring the Gurus: Guru Purnima is a day for disciples to honor and pay their respects to their gurus or teachers who have imparted knowledge, wisdom, and guidance in their lives. It is an opportunity for students to express their gratitude and seek blessings from their gurus.
- Spiritual Significance: In Hinduism, the guru is considered as the one who removes darkness (ignorance) and brings light (knowledge) into the disciple’s life. Guru Purnima emphasizes the spiritual significance of the guru-disciple relationship, highlighting the importance of a spiritual guide in one’s journey towards self-realization and enlightenment.
- Vyasa Purnima: Guru Purnima is also known as Vyasa Purnima as it marks the birthday of Maharishi Vyasa, the sage who is revered as one of the greatest gurus in ancient Indian history. Maharishi Vyasa is credited with editing and classifying the Vedas, and he is also the author of the Mahabharata, one of the longest epic poems in the world.
- Adi Guru Shiva: Another significance of Guru Purnima is that it is believed to be the day when Lord Shiva, the Adi Guru (the first guru), began the transmission of yoga and spiritual knowledge to his disciples. Therefore, on this day, devotees also pay homage to Lord Shiva as the ultimate source of wisdom and knowledge.
- Continuation of Knowledge: Guru Purnima is a reminder of the timeless tradition of passing down knowledge from generation to generation. It emphasizes the importance of preserving and continuing the knowledge, wisdom, and cultural heritage of the past for the benefit of future generations.
- Festival of Learning: Apart from the guru-disciple relationship, Guru Purnima is also a celebration of learning and education. It encourages people to seek knowledge and wisdom throughout their lives and to be receptive to the teachings of various gurus and sources of knowledge.
- Yogic and Spiritual Practices: On Guru Purnima, people often engage in yogic practices, meditation, and spiritual activities as a way to connect with their gurus and seek spiritual upliftment.
Guru Purnima is not limited to any specific religious or spiritual tradition. It is celebrated by Hindus, Buddhists, Jains, and Sikhs, each observing it in their unique way, but the essence remains the same – to show gratitude, seek blessings, and acknowledge the role of the guru in one’s life journey.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है जो हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के पूर्णिमा दिन (जून-जुलाई) मनाया जाता है। यह दिन भारत में स्पिरिचुअल और सांस्कृतिक परंपराओं के अंतर्गत बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु पूर्णिमा का महत्व निम्नलिखित है:
- गुरु की पूजा: गुरु पूर्णिमा एक दिन है जब शिष्य अपने गुरु या अध्यापकों को सम्मान और पूजा करते हैं, जिन्होंने उनके जीवन में ज्ञान, बुद्धि और मार्गदर्शन प्रदान किया है। यह छात्रों के लिए आभार प्रकट करने और अपने गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर होता है।
- आध्यात्मिक महत्व: हिंदू धर्म में, गुरु को अंधकार (अज्ञान) को हटाने और प्रकाश (ज्ञान) को शिष्य के जीवन में लाने वाला माना जाता है। गुरु पूर्णिमा गुरु-शिष्य संबंध के आध्यात्मिक महत्व को संज्ञान कराता है, जिसमें गुरु के मार्गदर्शन के महत्व को प्रस्तुत किया जाता है।
- व्यास पूर्णिमा: गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि यह महार्षि व्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। महार्षि व्यास को प्राचीन भारतीय इतिहास में सबसे महान गुरुओं में से एक माना जाता है। महार्षि व्यास ने वेदों का संपादन और वर्गीकरण किया है, और उनका ग्रंथ महाभारत भी विश्व के सबसे लंबे ईपिक कविताओं में से एक है।
- आदि गुरु शिव: गुरु पूर्णिमा का एक और महत्व है कि इसे लोग आदि गुरु (प्रथम गुरु) भगवान शिव के रूप में भी मानते हैं, जिन्होंने अपने शिष्यों को योग और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतिपादन करना शुरू किया था। इसलिए, इस दिन प्रभाकरणी योग (योग की प्रारंभिक शिक्षा) को देने वाले गुरु भगवान शिव का भी स्मरण किया जाता है।
- ज्ञान का अनुगमन: गुरु पूर्णिमा विशेषकर शिक्षार्थियों और शिक्षा का अनुगमन का एक उत्सव है। यह लोगों को अपने जीवन भर ज्ञान और बुद्धि की खोज करने और विभिन्न गुरुओं और ज्ञान के स्रोतों के शिक्षा को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।
- योगिक और आध्यात्मिक अभ्यास: गुरु पूर्णिमा के दिन, लोग अक्सर योगिक अभ्यास, ध्यान और आध्यात्मिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं ताकि वे अपने गुरुओं से जुड़ सकें और आध्यात्मिक उन्नति की तलाश कर सकें।
गुरु पूर्णिमा किसी विशेष धार्मिक या आध्यात्मिक परंपरा से सीमित नहीं है। यह हिंदू, बौद्ध, जैन, और सिख धर्मवालों द्वारा मनाया जाता है, प्रत्येक इसे अपनी अनूठी विधि में मनाता है, लेकिन इसका मूलभूत अर्थ समान रहता है – अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना, उनकी कृपा को लेकर आग्रह करना, और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को समर्पित करना।
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